सब कुछ गंवा के पहुंचे हैं
छोड़ कर अपना मकां हम वहां तक पहुंचे हैं
कैसे करें बयां के हम कहाँ तक पहुंचे हैं
छूट गए अपनों से हम बहुत पीछे
वो पहुंचे बहार तक
और हम खिजां तक पहुंचे हैं
अब करता नही शिकायत किसी से भी मैं खुल कर
मुँह की ही खाई है ,बात जब जब जुबाँ तक पहुंचे हैं
काबिल तेरी निगाह के थे तो नही हम
पर पहुंचा नही कोई भी तुम तक...
हम तुम्हारे अंदर जहां तक पहुंचे है
मुनासिब नही के तुम हिसाब किताब भी करो अब
गुना भाग कर लो ,आज हम यहां तक
सब कुछ गंवा कर पहुंचे हैं ।
Dev...D
Ravi Goyal
19-Jun-2021 10:20 PM
बहुत खूब 👌👌
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Apeksha Mittal
27-May-2021 07:42 AM
👍👍👍
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